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मंगलवार, 20 जुलाई 2010

तेरा साथ

रहा कुछ अपने मन का, कुछ औरो से सुना हमने
तेरी की जुस्तजू खुद को किया तन्हा हमने!

हर रात सुना है तन्हा हो जाते है लोग
यहाँ तो पल पल अपने तन्हा किए हमने!!

हर सिम्त सिमटती है मेरे अपने होने की आस,
लम्स है कि जज्बात पिरोये है हमने!

दूर होती जाती है यूं मेरे बदन की खुशबू,
रख छोड़ा हो गुलाब सदियों से किताब मे हमने!!

सांस लेना सिर्फ नाकाफी है जीने के लिए,
मेरे माही, या इलाही तेरा साथ माँगा हमने!

मौत आनी है तो आये वो बेशक आये,
बस एक बार तेरा साथ माँगा है हमने!!

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