जिन्दगी के पलड़े मे
कई बार
सुख और दुःख के बीच
फैसला करने मे जब
खुद को कमजोर पाते हैं,
हम मौको से नहीं
अंतरआत्मा से पूछ आते हैं...
कुछ समझ न पाएं तो
एक दिल की आवाज या चाहत के जागने तक,
कुछ सिम्त ठहर कर
खुद को रोक लेते हैं
और चाहतो को दबा लेते हैं ...
एक जिजीविषा के निर्माण के लिए ..
एक नए परिनिर्वाण के लिए...
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1 टिप्पणी:
गहन अभिव्यक्ति
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