यूं ही एक
मुस्कुराता सा चेहरा;
मेरी आँखों मे
तैर जाता है,
अपनी प्यारी सी
अपनी प्यारी सी
हंसी से,
मुझे सुकून
मुझे सुकून
पंहुचा जाता है,
मगर जब
मगर जब
कभी भी
उस हंसी को,
उस एहसास को
उस एहसास को
ढूंढ पाने को,
उसमे समां जाने को,
महसूस कर पाने;
उसका अपनापन
और पा जाने को
उसमे समां जाने को,
महसूस कर पाने;
उसका अपनापन
और पा जाने को
सारा आकाश,
मै जब
मै जब
बेचैन हो उठती हूँ,
देखती हूँ,
ढूंढती हूँ,
तलाश करती हूँ,
उसे अपने आस पास
मगर
देखती हूँ,
ढूंढती हूँ,
तलाश करती हूँ,
उसे अपने आस पास
मगर
हासिल होता है;
सिर्फ और सिर्फ
सिर्फ और सिर्फ
सिसकती आह ...
क्यों???
क्यों???
जवाब चाहती हूँ
मै आपसे,
क्यों गाएब है
क्यों गाएब है
वो प्यारी मुस्कान,
जो आपके
जो आपके
खुद के होने का एहसास
आपके साथ रखती है,
जुदा नहीं होने देती
जुदा नहीं होने देती
आपको आपसे ही,
क्यों खो से गए है
ये एहसासात!
क्यों खो से गए है
ये एहसासात!
जो आपके अंदर है,
इसलिए उठो,
ढूंढो,
इसलिए उठो,
ढूंढो,
खोजो और
पहचानो
खुद मे छुपी
खुद मे छुपी
उस मुस्कान को,
पा जावोगे जवाब
खुद-ब-खुद
पा जावोगे जवाब
खुद-ब-खुद
इसलिए चाहती हूँ
कि यह
कि यह
पहल आपसे हो ...