बड़े अनजान मौसम में,
बहुत बेरंग लम्हों में.
बिना आहट
बिना दस्तक
बहुत मासूम सा सपना
उतर आया है
आँखों में,
बिना सोचे
बिना समझे.
कहा है दिल ने
चुपके से,
हाँ...इस नन्हे से
सपने को.
आँखों में
जगह दे दो!
बिना रोके
बिना टोके
सांसों में
महकने दो
हमेशा की तरह अब भी...
बिना उलझे
बिना बोले
झुका डाला है
सर हम ने!
मगर ताबीर
क्या होगी ???
ये हम जानें
न दिल जाने...
फकत मालूम है इतना
के दिल के फैसले अक्सर
हमें कम रास आए हैं..!!
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6 टिप्पणियां:
बहुत खूबसूरती से लिखी दिल की बात ... हकीकत कहती सुन्दर रचना
बेहतरीन।
सादर
बिना उलझे
बिना बोले
झुका डाला है
सर हम ने!
मगर ताबीर
क्या होगी ???
ये हम जानें
न दिल जाने...
फकत मालूम है इतना
के दिल के फैसले अक्सर
हमें कम रास आए हैं..!!
अतिसुंदर.
के दिल के फैसले अक्सर
हमें कम रास आए हैं..!!
haan sach hi to hai
sunder lekhan
abhar
Naaz
Mridula ji blog per ane ka dhanyawad!!
Apki lekhni bhi kya manmohak bhaav pradarshit kerti hain!!!
Bhavatmak!
बढ़िया...दिल के फैसले हमें कम रास आये...दिमाग वालों की दुनिया में अब दिल की वकत ही कुछ नहीं रह गयी है
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