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रविवार, 17 जुलाई 2011

दिल के फैसले अक्सर हमें कम रास आए हैं..!!

बड़े अनजान मौसम में,
बहुत बेरंग लम्हों में.
बिना आहट
बिना दस्तक
बहुत मासूम सा सपना
उतर आया है
आँखों में,

बिना सोचे
बिना समझे.
कहा है दिल ने
चुपके से,
हाँ...इस नन्हे से
सपने को.
आँखों में
जगह दे दो!

बिना रोके
बिना टोके
सांसों में
महकने दो
हमेशा की तरह अब भी...

बिना उलझे
बिना बोले
झुका डाला है
सर हम ने!
मगर ताबीर
क्या होगी ???
ये हम जानें
न दिल जाने...
फकत मालूम है इतना
के दिल के फैसले अक्सर
हमें कम रास आए हैं..!!

6 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरती से लिखी दिल की बात ... हकीकत कहती सुन्दर रचना

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन।

सादर

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

बिना उलझे
बिना बोले
झुका डाला है
सर हम ने!
मगर ताबीर
क्या होगी ???
ये हम जानें
न दिल जाने...
फकत मालूम है इतना
के दिल के फैसले अक्सर
हमें कम रास आए हैं..!!
अतिसुंदर.

Mridula Ujjwal ने कहा…

के दिल के फैसले अक्सर
हमें कम रास आए हैं..!!

haan sach hi to hai

sunder lekhan

abhar

Naaz

Unknown ने कहा…

Mridula ji blog per ane ka dhanyawad!!

Apki lekhni bhi kya manmohak bhaav pradarshit kerti hain!!!

Bhavatmak!

Nidhi ने कहा…

बढ़िया...दिल के फैसले हमें कम रास आये...दिमाग वालों की दुनिया में अब दिल की वकत ही कुछ नहीं रह गयी है