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मंगलवार, 16 नवंबर 2010

एक दिन


याद नहीं पर आपसे बांटनी थी तो डायरी के पन्नो से निकाल कर सौप दी आपके सामने ये नज़्म...

वो लोग
जो जिन्दा हैं
वो मर जायेंगे
एक दिन,

एक रात के
रही हैं,
गुजर जायेंगे
एक दिन,
यूं है के
मोहब्बत से
टकरा जायेंगे
एक दिन,

दिल आज भी
जलता है
उसी तेज़
हवा में,
ये तेज़ हवा
देख बिखर जायेंगे
एक दिन,

यूं होगा कि
इन आँखों से
आंसू बहेंगे,
ये चाँद सितारे
भी ठहर जायेंगे
एक दिन,

अब घर भी नहीं
घर कि तमन्ना
भी नहीं,
बहुत दिन पहले
सोचा था
घर जायेंगे
एक दिन!!!

1 टिप्पणी:

Saurabh Pandey ने कहा…

Really this poem is very nice.....