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शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

जाने के लिए मत आना ...

अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना,
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना...

मैंने पलकों पे तमन्नाएं सजा रखी है,
दिल में उम्मीद की सुबह-ओ-शामें जला रखी हैं...

यह हसीं शामें बुझाने के लिए मत आना,
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना...

प्यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं,
चाहने वालों की तकदीरें बदल सकती हैं ...

तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना,
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना ...

1 टिप्पणी:

vandana gupta ने कहा…

वाह बहुत ही सरलता से मन के भावो को व्यक्त किया है।