कुछ लम्हे जुलाई के
हम ने यूँ गुज़ारे हैं,
मौसम तेरी यादों के,
तस्वीर में उतारे हैं ...
कपकपाते होंटों से,
डगमगाती धरकन से,
हम ने अपने मालिक से,
बस दुआ ये मांगी है,
अब के बार सावन में,
जब भी बादल उतरें तो,
बस येही तमन्ना है,
नफरतों की बारिश में,
दुश्मनों की साजिश में,
बस इसी गुज़ारिश में,
ज़िन्दगी को जीने का,
इख़्तियार मिल जाये,
ऐ मेरे खुदा ! सब को,
अपना प्यार मिल जाये....!!
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2 टिप्पणियां:
खूबसूरत भाव समेटे अच्छी प्रस्तुति
वाह क्या खूब कहा है।
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