मगर तू है, कि दूर मेरी चाहतो मे शामिल है!!"
अभीप्सा है कुछ कर पाने की
कुछ कह जाने की
अपनाने की,
उनकी बन जाने की!
उनकी बन जाने की!
दिन-रात बीत जाते हैं, यूँ ही पल-प्रतिपल,
इच्छा है, उन्हें रोक पाने की,
कुछ गुनगुनाने की,
मन की गुत्थी सुलझाने की,
मन की गुत्थी सुलझाने की,
गुम्फित सा क्या है, मन में,
समझ जाने की,
बता पाने की,
समझ जाने की,
बता पाने की,
रात-औ-दिन का बीतना; समय का अकेलापन सा लगता है,
इच्छा है, उनके लम्हों मे खो जाने की,
उन्हें अपनाने की, अपना बताने की,
कुछ कही - कुछ अनकही; सुनाने की,
मन मे रखा हो ज्यो, कुछ नहीं; बहुत सा,
वह क्या है? जान पाने की,
आपको बताने की,
आपको बताने की,
आपको समझाने की,
खुद समझ पाने की,
खुद समझ पाने की,
अभीप्सा है, हाँ यही इच्छा है, यही जिजीविषा है!!
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5 टिप्पणियां:
बहुत गहन अभिव्यक्ति!
nice thoughts . a very different background for ur blog. Kabhi hamare blog par bhi tashreef laye
thanks for your reading and giving me your precious thoughts, its a water for the seeds of ma poems!
अभिप्सा और गुम्फित शब्दों का बहुत सुन्दर प्रयोग....बहुत अच्छी लगी यह रचना
बहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति। बधाई ।
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